केंद्र सरकार जीएसटी को लेकर उत्साह में है। वह एक जुलाई को इसे एक मेगा शो की तरह पेश करना चाहती है। लेकिन आम आदमी के लिए यह अभी एक पहेली ही है। जब तक जमीन पर इसके हानि-लाभ समझ में नहीं आएंगे, तब तक वह प्रतिक्रिया नहीं देगा। वैसे यह खबर मिडल क्लास को चिंता में डालने वाली है कि रेल में एसी व फर्स्ट क्लास में यात्रा करना थोड़ा और महंगा हो जाएगा। यही नहीं, महंगे निजी अस्पतालों में इलाज कराना भी पहले से ज्यादा महंगा होगा क्योंकि हेल्थकेयर को जीएसटी में छूट दिए जाने के बावजूद इससे संबंधित कुछ सेवाओं व उत्पादों पर 15-18 प्रतिशत की दर से कर लगेगा। सबसे ज्यादा असमंजस व्यापारियों में देखा जा रहा है। वे इससे पैदा होने वाली जटिलताओं को लेकर परेशान हैं। जीएसटी से फायदा-घाटा तो अभी दूर की बात है, व्यापारियों को लगता है कि उन्हें जरूरत से ज्यादा लिखा-पढ़ी करनी होगी, छोटी से छोटी बात का भी हिसाब रखना होगा। टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने तो अभी से मोर्चा बांध लिया है। कुछ शहरों में व्यापारी सड़क पर उतर चुके हैं। मानव निर्मित रेशे पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने के फैसले से कपड़ा उद्योग से जुड़े लोग चिंतित हैं। उनका मानना है कि इससे सिंथेटिक धागा बनाने वाली कंपनियों का मुनाफा प्रभावित होगा और रोजगार में कटौती होगी। दूसरी तरफ कई कंपनियां सप्लाई के मामले में फूंक-फूंककर कदम रख रही हैं। उन्होंने महीने के आखिरी दिनों में डिलिवरी बंद करने या बहुत कम करने का फैसला किया है ताकि वे जीएसटी में अपना बिजनस स्विचओवर कर सकें और उनके डीलर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स पर स्टॉक का बोझ न बढ़े। एक जुलाई से पहले डिस्पैच हुए जिन प्रॉडक्ट्स की बिक्री जीएसटी लागू होने के बाद होगी, उनमें डीलरों पर टैक्स का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। वैसे विशेषज्ञ मानते हैं कि कंपनियों के डिस्पैच कम करने से भी मार्केट में शॉर्टेज नहीं होगी क्योंकि ज्यादातर डीलरों के पास पर्याप्त स्टॉक है और एक जुलाई के बाद आपूर्ति सामान्य हो जाएगी। अभी बाजार में एक साल पुराना स्टॉक बेच डालने की होड़ भी मची हुई है। कई कंपनियां और रिटेलर ग्राहकों को भारी डिस्काउंट दे रहे हैं। सरकार चाहे कुछ भी दावा करे पर व्यापारियों की आम शिकायत है कि बहुत सी चीजों की जानकारी उन तक नहीं पहुंच पाई है। जीएसटी के लिए पंजीकरण भी उन्होंने अपने स्तर पर करवाया है। बहरहाल, जीएसटी को लागू होने में केवल एक सप्ताह का वक्त बचा है। सरकार को चाहिए कि वह इस संबंध में व्यापारियों की सारी उलझनें दूर करे। मुमकिन है कोई तबका गलतफहमी की वजह से भी इसका विरोध कर रहा हो, लेकिन उसकी समझ दुरुस्त करना सरकार का ही काम है। उसे बाजार को आश्वस्त करना चाहिए कि जीएसटी से उसका कोई नुकसान नहीं होने जा रहा है।
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