जिस तरह दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की मुहिम चलाई जा रही है, वैसा ही अभियान साइबर सुरक्षा हेतु भी चलाया जाए। फिर ऐसा साइबर हमला हुआ है, जिसका एक साथ दुनिया के बहुत से देशों पर असर पड़ा है। साइबर अपराधियों ने लूट-खसोट का यह नया तरीका निकाला है। इसके तहत वे कंप्यूटर सिस्टमों को जाम करने वाले मॉलवेयर (एक प्रकार का वायरस सॉफ्टवेयर) इंटरनेट पर फैला देते हैं। जो भी अपने सिस्टम पर उससे आए संदेश को देखता है, उसका सिस्टम उससे पीड़ित हो जाता है। उसके बाद हैकर उससे लॉक हो गए सिस्टम को खोलने के बदले एक खास रकम मांगते हैं। अनुमान है कि पिछले महीने दुनिया के विभिन्न् देशों में हुए वानाक्राई रैनसमवेयर हमले से उन्होंने करोड़ डॉलर की वसूली की। अब फिर ऐसा हमला हुआ है। अनेक देशों की दर्जनों कंपनियां इससे प्रभावित हुई हैं। इसका सबसे बुरा असर यूक्रेन पर पड़ा है। भारत भी प्रभावित हुआ है। इस बार का वायरस भी उसी ढंग से असर कर रहा है, जैसा वानाक्राई रैनसमवेयर ने किया था। हालांकि मिली जानकारी के मुताबिक अपराधियों ने वायरस को अपडेट किया है। वायरस के नए वर्जन को पेट्रवैप कहा गया है। अब साफ